माइक्रो-कैप कंपनी मुरे ऑर्गेनाइजर ने 1:2 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की है। कंपनी ने इसके लिए 11 जून 2025 को रिकॉर्ड डेट तय किया है। इससे पहले कंपनी ने जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में शानदार वित्तीय नतीजे पेश किए हैं। आइए समझते हैं कि स्टॉक स्प्लिट क्या है और यह निवेशकों को कैसे प्रभावित कर सकता है।

स्टॉक स्प्लिट क्या होता है?
स्टॉक स्प्लिट एक कॉर्पोरेट एक्शन है जिसमें कंपनी अपने शेयरों को विभाजित कर देती है। इसका मकसद शेयरों की कीमत को कम करके उन्हें निवेशकों के लिए अधिक सुलभ बनाना होता है। मुरे ऑर्गेनाइजर के मामले में, 1:2 का स्टॉक स्प्लिट मतलब है कि 2 रुपये फेस वैल्यू वाला 1 शेयर अब 1 रुपये फेस वैल्यू के 2 शेयरों में बदल जाएगा। इससे शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन कंपनी का बाजार पूंजीकरण वही रहता है।
रिकॉर्ड डेट और निवेशकों के लिए महत्व
मुरे ऑर्गेनाइजर ने 11 जून 2025 को स्टॉक स्प्लिट के लिए रिकॉर्ड डेट तय किया है। इसका मतलब है कि जो निवेशक इस तारीख तक कंपनी के शेयरधारक होंगे, उन्हें स्प्लिट के बाद अतिरिक्त शेयर मिलेंगे। उदाहरण के लिए, अगर किसी के पास 100 शेयर हैं, तो स्प्लिट के बाद उन्हें 200 शेयर मिलेंगे।
कंपनी का हालिया वित्तीय प्रदर्शन
मुरे ऑर्गेनाइजर ने जनवरी-मार्च 2025 तिमाही में उल्लेखनीय वित्तीय नतीजे पेश किए हैं:
- रेवेन्यू: 515.53 करोड़ रुपये (पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 59,873% की वृद्धि)
- शुद्ध लाभ: 2.85 करोड़ रुपये (पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 144% की वृद्धि)
यह वृद्धि कंपनी के लिए एक सकारात्मक संकेत है और इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है।
कंपनी की भविष्य की योजनाएं
मुरे ऑर्गेनाइजर ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र में कृषि भूमि खरीदने की योजना भी घोषित की है। इसके लिए कंपनी 20 से 25 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बना रही है। यह कदम कंपनी के भविष्य के विकास को लेकर आशावादी नजरिया दिखाता है।
निष्कर्ष
मुरे ऑर्गेनाइजर का स्टॉक स्प्लिट निवेशकों के लिए एक अहम घटना है। कंपनी का हालिया वित्तीय प्रदर्शन और भविष्य की योजनाएं इसे एक दिलचस्प विकल्प बना सकती हैं। हालांकि, माइक्रो-कैप स्टॉक्स में उच्च जोखिम भी होता है, इसलिए निवेश से पहले उचित रिसर्च जरूरी है।